Wednesday, October 17, 2012

मैंगो पीपल इन बनाना रिपब्लिक, क्‍या बात है...

गूगल में रॉबट वाड्रा खोजने से सबसे पहले आपको विकिपीडिया में उनकी प्रोफाइल दिखेगी। प्रोफाइल कुछ पर्सनल सूचना से शुरू होती है जैसे रॉबर्ट साहब प्रियंका गांधी से तब मिले थो जब वो 13 साल की थीं। आगे बढ़ने पर बात राजनीति पर आती है, सन् 2010 में उन्‍होंने टाइम्‍स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्‍यू में उन्‍होंने कहा था कि उचित समय आने पर वो राजनीति में कदम रखेंगे।

अब दो साल बाद समय तो एकदम उचित नहीं लगता पर वो एक बड़े राजनीतिक पचड़े के केंद्र में दिखते हैं। खैर, मुद्दे पर आते हैं रॉबर्ट स्‍पेशल केस, नंबर दो देश की बड़ी कंपनी डीएलएफ से उनके रिश्‍ते और उनके मायने, और नंबर तीन पक्ष-विपक्ष। कुछ ही बरसों में वाड्रा साब ने काफी प्रगति की है। अब ये सबको कैसे बर्दाश्‍त होता सो लग गए लोग पीछे, नतीजा हो-हल्‍ला एक नहीं सारी जगहों पर टीवी, अखबार, इंटरनेट, चाय की  दुकान और न जाने कहां कहां। अब सरकारी कथन है कि वो प्राइवेट इंडीवीजुअल हैं सो वो जाने उनका काम जाने। विपक्षी बोलते हैं अरे कम कीमत में सरकारी जमीन खरीदकर दो महीने में करोंड़ो कमाये वाड्रा साब ने कैसे कुछ असामान्‍य नहीं हुआ। और भी आरोप हैं विपक्षियों के खैर मैं सोच रहा हूं बेचारा मैंगो मैन क्‍या करेगा। क्‍या उसको भरोसा है कि जांच होगी, और अगर गलती से सरकारी कमिटी बैठा भी दी गयी तो क्‍या कहीं पहुंचने भी वाली है वो। लगता तो नहीं कुछ होगा।

अब डीएलएफ के साथ वाड्रा साब के व्‍यावसायिक रिश्‍ते तो मजबूत हैं वर्ना थोड़े ही कोई करोड़ों का कर्ज ऐसे ही दे देता है भला। आम आदमी की चुनी हुई हरियाणा सरकार ने कम कीमत में वाड्रा साब को जमीन दे दी, हरियाणा के सत्‍तासीन कांग्रेस सरकार के लोग खुश उन्‍होंने वाड्रा साब की मदद की, वाड्रा साब खुश की मोटा मुनाफा बना, डीएलएफ को भी फायदा हुआ ही सिर्फ आम आदमी ठगा रह गया। आमजन के टैक्‍स से चलनेवाली सरकारी मशीनरी दूसरों के राजनीतिक व व्‍यावसायिक हित साधते-साधते आमजन के हितों को ही भूल गयी। राजनीतिक गलियों में सही गलत के मायने बस मैं तक ही सिमट कर रह गए।

खैर, इस दौरान एक नाम उभरा जिसने इन सब अनियमितताओं के खिलाफ छोटा ही सही पर कदम उठाया। एक आइएएस ऑफीसर हैं हरियाणा के, नाम है अशोक खेमका सुना है ईमानदार हैं। अब कोई ईमानदारी का अवार्ड तो मिला नहीं उनको पर पिछले 20 बरसों में 40 बार स्‍थानांतरण से जूझ रहें है सो विश्‍वास किया जा सकता है ईमानदार होंगे। आइएएस साहब ने रॉबर्ट वाड्रा की जमीन खरीद मामले में कुछ अनुचित पाया और दे दिया जांच का आदेश, नतीजा फिर स्‍थानांतरण। फिर क्‍या होना था फिर से बचाव कर रही थी सरकार और रवीश जी एनडी टीवी वाले लगे थे प्राइम टाइम में गुत्‍थी सुलझाने में। हमेशा की तरह कुछ नतीजा निकलता नहीं दिखा, फिलहाल तो नींद आ रहीं है देखते हैं कल क्‍या होता है और अभी के लिए अशोक खेमका जी के जज्‍बे को सलाम